पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ ने अपने नाते के मामू के à¤à¤• विशेष पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग को लेकर अपनी सबसे पहली रचना लिखी। १३ साल की आयॠमें इस रचना के पूरा होते ही पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ साकहतà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° की पंकà¥à¤¤à¤¿ में खड़े हो गà¤à¥¤ सनॠ१८९४ ई० में "होनहार बिरवार के चिकने-चिकने पात" नामक नाटक की रचना की। सनॠ१८९८ में à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिखा। लगà¤à¤— इसी समय "रà¥à¤ ी रानी" नामक दूसरा उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जिसका विषय इतिहास था की रचना की। सन १९०२ में पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ और सनॠ१९०४-०५ में "हम खà¥à¤°à¥à¤®à¤¾ व हम सवाब" नामक उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिखे गà¤à¥¤ इन उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में विधवा-जीवन और विधवा-समसà¥à¤¯à¤¾ का चितà¥à¤°à¤£ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ ने काफी अचà¥à¤›à¥‡ ढंग से किया। |
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जब कà¥à¤› आरà¥à¤¥à¤¿à¤• निरà¥à¤œà¤¿à¤‚शà¥à¤šà¤¤à¤¤à¤¾ आई तो १९०ॠमें पाà¤à¤š कहानियों का संगà¥à¤°à¤¹ सोड़ो वतन (वतन का दà¥à¤– दरà¥à¤¦) की रचना की। जैसा कि इसके नाम से ही मालूम होता है, इसमें देश पà¥à¤°à¥‡à¤® और देश को जनता के दरà¥à¤¦ को रचनाकार ने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ शासकों को इस संगà¥à¤°à¤¹ से बगावत की à¤à¤²à¤• मालूम हà¥à¤ˆà¥¤ इस समय पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ नायाबराय के नाम से लिखा करते थे। लिहाजा नायाब राय की खोज शà¥à¤°à¥ हà¥à¤ˆà¥¤ नायाबराय पकड़ लिये गठऔर शासक के सामने बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ गया। उस दिन पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ सामने ही आपकी इस कृति को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शासकों ने जला दिया और बिना आजà¥à¤žà¤¾ न लिखने का बंधन लगा दिया गया। इस बंधन से बचने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ ने दयानारायण निगम को पतà¥à¤° लिखा और उनको बताया कि वह अब कà¤à¥€ नयाबराय या धनपतराय के नाम से नहीं लिखेंगे तो मà¥à¤‚शी दयानारायण निगम ने पहली बार पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ नाम सà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ यहीं से धनपतराय हमेशा के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ हो गये। "सेवा सदन", "मिल मजदूर" तथा १९३५ में गोदान की रचना की। गोदान आपकी समसà¥à¤¤ रचनाओं में सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मशहूर हà¥à¤ˆ अपनी जिनà¥à¤¦à¤—ी के आखिरी सफर में मंगलसूतà¥à¤° नामक अंतिम उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिखना आरंठकिया। दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ मंगलसूतà¥à¤° को अधूरा ही छोड़ गये। इससे पहले उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महाजनी और पूà¤à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¦à¥€ यà¥à¤— पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ की निनà¥à¤¦à¤¾ करते हà¥à¤ "महाजनी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾" नाम से à¤à¤• लेख à¤à¥€ लिखा था। |
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