आ मà¥à¤à¥‡ रंग दे बसंती
कà¥à¤› कहानियां सच मं ज़िंदगी का रà¥à¤– मोङ देती हैं
शांत सà¥à¤¥à¤¿à¤° मन को किंकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¿à¤®à¥‚ढ छोङ देती हैं
à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ ही कहानी से मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ हो गई
कहानी तो वही छूट गई पर à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ साथ हो गई
ये कहानी है उन चंद सà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ की जिनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ à¤à¤• साथ
अतीतॠऔरॠवरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨à¥ का रà¥à¤–ॠमोडॠदिआ
कर गठकà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ कि अतीत और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨à¥ को à¤à¤•
मोङ पर ला कर छोङ दिआ..
à¤à¤—त,चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र,राजगà¥à¤°à¥,अशà¥à¤«à¤¾à¤•,दà¥à¤°à¥à¤—ा...
आज से पहले ये आज़ादी के चेहरे हà¥à¤† करते थे..
आज चरितà¥à¤° बन गà¤....
वो चरितà¥à¤° जो आज़ादी के नये चेहरों को
चरितारà¥à¤¥ करते हैं
आज़ादी ज़िसà¥à¤® की नही विचारों की होती है
इसे यथारà¥à¤¥ करते हैं.
कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ अगर ज़िसà¥à¤® नपà¥à¤‚सक बन जाà¤
फिर à¤à¥€ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का गà¥à¥›à¤¾à¤°à¤¾ चल जाता है
लेकिन अगर विचार नपà¥à¤‚सक बन जाà¤à¤‚
तो आदमी अपने ही देश में गà¥à¤²à¤¾à¤® बन जाता है
उन चरितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का खून à¤à¤• बार फिर चला
रंग दे बसंती के चोलों का लहू à¤à¤• बार फिर बहा
लेकिन ये खून सिरà¥à¥ž जिसà¥à¤® तक कहां रहने वाला था
ये तो विचारों और पीढीयों को
अपने रंग में रंगने वाला था
मà¥à¤à¥‡ नही पता उनका तरीका सही था या गलत
जानने की गरà¥à¥› à¤à¥€ नही है
कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ तरीकों से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤¹à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¤¤ उसके पीछे
की मंशा की है
जिंदगी उसको समठन पाà¤
इतनी à¤à¥€ खà¥à¤¦à¤—रà¥à¤œ नही है
शायद उन चरितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को यूहीं परदे पर मरना था
इसी तरह जंग लग चà¥à¤•à¥€ इस पीढी को जगना था
हां,à¤à¤• नया खून,à¤à¤• नयी पीढी फिर से तैयार है
अपने विचारों की नयी जंग लडने को
औरॠà¤à¤• बार फिर से कहने को
आ मà¥à¤à¥‡ रंग दे बसंती.............
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