अजीब खून है पुष्पा का, 10 हजार में से एक में ही मिलता है ब्लड ग्रुप

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Naidunia Jagran
10 हजार में से एक में ही पाया जाता है यह ब्लड ग्रुप, वैवाहिक जीवन भी दुखमय, पति ने दिया तलाक।

बॉम्बे ब्लड ग्रुप की पुष्पा की आंत के ऑपरेशन में हो रही देरी।

10 हजार में से एक में ही पाया जाता है यह ब्लड ग्रुप।

वैवाहिक जीवन भी दुखमय, पति ने दिया तलाक।

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर। वैसे तो देखने में पुष्पा दूसरी महिलाओं की तरह ही सामान्य है, पर उसका खून काफी जुदा है और यही उसकी जिंदगी के लिए खतरा बन गया है। दरअसल, पुष्पा 'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' टीम से है। यह ब्लड ग्रुप आसानी से मिलता ही नहीं। यही वजह है कि आंत में सिकुड़न की गंभीर बीमारी से ग्रस्त पुष्पा आज जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है।

'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' भारत में 10 हजार जबकि यूरोप में 10 लाख लोगों में से किसी एक में पाया जाता है। इस ब्लड ग्रुप की वजह से पुष्पा का वैवाहिक जीवन भी कष्टमय हो गया है। बीमारी का पता चलने पर उसके पति ने उसे तलाक दे दिया।

रूपनगर (पंजाब) के सदाव्रत स्लम क्षेत्र के रहने वाले काला सिह की बेटी पुष्पा (28) को एक निजी अस्पताल में आंत का ऑपरेशन कराने के लिए भर्ती कराया गया। लेकिन ब्लड ग्रुप की वजह से ऑपरेशन संभव नहीं हो पाया। जब ब्लड बैंक के डॉक्टर ने परिजनों को इस बाबत समझाया तो पहले तो वो समझ ही नहीं पाए। अब जब उन्हें जानकारी हुई है तबसे इस ग्रुप के डोनर की तलाश में खाक छान रहे हैं।

काला सिंह का कहना है कि वह कबाड़ बेचकर परिवार का पालन पोषण करते हैं। भगवान से यही प्रार्थना है कि बेटी की जान किसी तरह बच जाए। पुष्पा के ताऊ नछतर सिह ने बताया कि चार साल पहले पुष्पा के माता-पिता ने उसकी शादी बड़े चाव से की थी, लेकिन जब उसकी बीमारी का पता चला और ब्लड ग्रुप नहीं मिला तो ससुराल परिवार ने उससे नाता तोड़ लिया।

क्यों कहते हैं बॉम्बे ग्रुप

बॉम्बे ब्लड ग्रुप (एचएच) की खोज 1952 में मुंबई के एक हॉस्पिटल में डा. वाइएम भेंडे ने की थी। पहली बार बॉम्बे में पाए जाने के कारण इसका नाम ही बॉम्बे ब्लड ग्रुप रख दिया गया। इस ग्रुप के किसी के होने का तभी पता चल पाता है जब उसे खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।

रूपनगर की जिला ट्रांसफ्यूजन ऑफिसर डॉ. गुरविदर कौर बताती हैं कि बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति में एच एंटीजन नहीं होता। एच एंटीजन जोकि मदर एंटीजन भी कहा जाता है, न होने पर रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) कोई ग्रुप (ए, बी या ओ) नहीं बनाता। आम तौर पर ब्लड टेस्टिग में ऐसे व्यक्ति का ओ ग्रुप ही पता चलता है लेकिन जब रिवर्स टेस्टिग की जाती है तो पता चलता है कि ये बॉम्बे ब्लड ग्रुप है।

एकजुटता के लिए वेबसाइट

संकल्प इंडिया फाउंडेशन की तरफ से बॉम्बे ब्लड ग्रुप कम्यूनिटी को एक मंच पर इकट्ठा करने के लिए वेबसाइट भी चलाई जा रही है ताकि ऐसे ब्लड ग्रुप वाले लोग पहचान में आ सकें तथा जरूरत पड़ने पर आसानी से उन्हें खून उपलब्ध हो सके।
 

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